Advertisement

राहुल गांधी ने दलित आदिवासियों और पिछड़ों शिक्षा नेतृत्व में बाधक बहुजन तत्वों पर उठाए सवाल


Loading

राहुल गांधी ने दलित आदिवासियों विद्यार्थियों से उनकी शैक्षिक और रोजगार स्थिति की लिया जायजा : शिक्षा और नेतृत्व में पिछड़ने के कारणों का लगाया पता : और उच्च शिक्षा और नेतृत्व के बाधक तत्वों पर उठाए सवाल :

 

 

यूपीए प्रमुख राहुल गांधी ने दलित आदिवासियों और पिछड़े वर्गों शिक्षा और नेतृत्व के प्रतिनिधत्व का की जानकारी उन वर्ग के विद्यार्थियों से ली l और उन कारणों पर समुचित प्रतिनिधत्व के लिए कांग्रेस की सत्ता में पहुंचने पर प्रमुखता से समाधान का आश्वासन दिया और दलित आदिवासियों और पिछड़ों को मनुवादी ताकते शिक्षा, विकास प्रतिनिधत्व और नेतृत्व में बाधक है l और उनकी कला दक्षता को प्राथमिकता न देकर अयोग्य और जातीय विषमता से अयोग्य करार दिया जाता है

‘Not Found Suitable’ अब नया मनुवाद है।

 

SC/ST/OBC के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘अयोग्य’ ठहराया जा रहा है – ताकि वे शिक्षा और नेतृत्व से दूर रहें।

 

बाबासाहेब ने कहा था: शिक्षा बराबरी के लिए सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन मोदी सरकार उस हथियार को कुंद करने में जुटी है।

 

दिल्ली यूनिवर्सिटी में 60% से ज़्यादा प्रोफ़ेसर और 30% से ज़्यादा एसोसिएट प्रोफ़ेसर के आरक्षित पदों को NFS बताकर खाली रखा गया है।

 

यह कोई अपवाद नहीं है – IITs, Central Universities, हर जगह यही साज़िश चल रही है।

 

NFS संविधान पर हमला है।

NFS सामाजिक न्याय से धोखा है।

 

ये सिर्फ़ शिक्षा और नौकरी की नहीं – हक़, सम्मान और हिस्सेदारी की लड़ाई है।

 

मैंने DUSU के छात्रों से बात की – अब हम सब मिलकर BJP/RSS की हर आरक्षण-विरोधी चाल को संविधान की ताक़त से जवाब देंगे। बीजेपी सदैव समाज में असमानता और सामंतवादी ताकतों की पक्षधर है जो शोषित वंचित पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के विकास में बाधक है l

Nagrik Udan